Khabarnama Desk: 2006 में एक बिनब्याही महिला और उसके जुड़वां बच्चों का शव उनके घर में पाया गया था। शवों की हालत बेहद बुरी थी, लेकिन उस समय पुलिस के पास कोई ठोस सुराग नहीं था। मामले की छानबीन के बाद यह केस ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
19 साल बाद, इस मर्डर मिस्ट्री को एक नई तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), की मदद से फिर से खंगाला गया। AI ने पुराने रिकॉर्ड्स, गवाहों के बयान और संदिग्धों की जानकारी का विश्लेषण किया। AI ने इन सभी जानकारियों को जोड़कर अपराध के पैटर्न को समझने की कोशिश की। इसके बाद, पुरानी कॉल्स, कैमरा फुटेज और डिजिटल साक्ष्यों का भी ध्यान से अध्ययन किया।
AI ने कुछ पुराने गवाहों के बयान में विसंगतियां पकड़ लीं और नए संदिग्धों की पहचान की। इनमें से एक करीबी रिश्तेदार था, जिसे पहले संदिग्ध नहीं माना गया था। उसे गिरफ्तार किया गया और पूछताछ में उसने जुर्म स्वीकार कर लिया।
यह मामला दिखाता है कि कैसे तकनीक, खासकर AI, पुराने अपराध मामलों को सुलझाने में मदद कर सकती है। इसने यह भी साबित किया कि तकनीकी विकास के साथ पुलिस की अपराधियों को पकड़ने की क्षमता बढ़ रही है। AI की मदद से 19 साल पुरानी मर्डर मिस्ट्री का राज़ आखिरकार खुला और दोषी को सजा दिलाई गई।
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