केंद्र नहीं सुन रहा किसानों की मांग, अब 26 जनवरी पर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) करने वाला है कुछ बड़ा

Khabarnama Desk:  संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 26 जनवरी 2025 को देशभर में ट्रैक्टर मार्च आयोजित करने की अपील की है। यह मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लंबित किसान मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक बुलाने को लेकर की गई है। एसकेएम के इस कदम के पीछे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई गई है, जो 48 दिनों से आमरण अनशन पर हैं।

क्यों हो रहा है अनशन?
डल्लेवाल 26 नवंबर 2024 से पंजाब और हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं। उनकी मांग है कि सरकार फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी दे और किसानों के लिए बेहतर नीतियां लागू करे।

एसकेएम की प्रमुख मांगें

1. एमएसपी पर कानून बनाना: फसलों की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी रूप से लागू किया जाए।

2. एनपीएफएएम को खत्म करना: राष्ट्रीय कृषि मार्केटिंग नीति (एनपीएफएएम) को किसान विरोधी बताकर इसे तुरंत वापस लेने की मांग।

3. कर्ज माफी: किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए व्यापक कर्ज माफी योजना लागू की जाए।

4. बिजली का निजीकरण न हो: बिजली के निजीकरण और स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध।

5. 300 यूनिट मुफ्त बिजली: किसानों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की मांग।

26 जनवरी पर प्रदर्शन का प्लान
एसकेएम ने 76वें गणतंत्र दिवस पर जिला और उप-मंडल स्तर पर ट्रैक्टर, वाहन, और मोटरसाइकिल परेड आयोजित करने का आह्वान किया है। किसानों से अपील की गई है कि वे अपनी मांगों के समर्थन में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें।

एनपीएफएएम के खिलाफ प्रदर्शन
एसकेएम ने सभी राज्य समितियों को एनपीएफएएम की प्रतियां जलाकर विरोध जताने को कहा है। यह नीति किसानों को उनके हक से वंचित करने वाली बताई जा रही है।

पहले भी किया है बड़ा आंदोलन
एसकेएम ने 2020-21 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देशव्यापी किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। उस आंदोलन के बाद सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए थे।

जगजीत सिंह डल्लेवाल के लिए चिंता
एसकेएम ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भी डल्लेवाल की जान बचाने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। ऐसे में किसानों ने एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाने का फैसला लिया है।

एसकेएम का यह कदम किसानों के हक के लिए सरकार से बातचीत और अनशनरत डल्लेवाल की जान बचाने के लिए है। यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास करेगा।

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