BPSC 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर छात्रों की याचिका

Khabarnama Desk : बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में कथित गड़बड़ी को लेकर छात्रों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई पूरी हुई। कोर्ट में सरकारी और जन सुराज के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद एक और केस दर्ज हुआ है, इसलिए दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ होनी चाहिए। सुनवाई करीब एक घंटे 20 मिनट तक चली, और अब अदालत के आदेश का सभी को इंतजार है, जो दोपहर बाद आने की संभावना है।

13 दिसंबर की परीक्षा में गड़बड़ी

छात्रों ने 13 दिसंबर को हुई BPSC 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायत की थी। उन्होंने अदालत से परीक्षा को रद्द कर नया परीक्षा आयोजन करने की मांग की थी। छात्रों का कहना था कि परीक्षा में कई गंभीर अनियमितताएं थीं, जिससे उन्हें नुकसान हुआ है। छात्रों का आरोप है कि 13 दिसंबर को चार लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों को नुकसान हुआ और उन्हें 6 अंकों का नुकसान हुआ। जबकि, 4 जनवरी को आयोजित परीक्षा में जिन छात्रों ने परीक्षा दी, उन्हें फायदा हुआ।

छात्रों का पूरक हलफनामा

इस मामले में छात्रों ने एक पूरक हलफनामा दायर किया है, जिसमें 4 जनवरी और 13 दिसंबर की परीक्षा के मॉडल उत्तर पर आपत्ति जताई गई है। छात्रों का कहना है कि 4 जनवरी की परीक्षा में तीन सवाल हटा दिए गए थे, जबकि 13 दिसंबर की परीक्षा में वही सवाल दोबारा पूछे गए। इससे 4 जनवरी के छात्रों को फायदा हुआ, जबकि 13 दिसंबर के छात्रों को नुकसान हुआ।

सियासत का गर्म होना

बिहार में इस मुद्दे को लेकर सियासत भी गर्म हो गई है। पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने छात्रों के समर्थन में चक्का जाम और बिहार बंद का आह्वान किया है। इसके अलावा, बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी छात्रों की मांगों का समर्थन किया है। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे पर आमरण अनशन भी किया है।

पटना हाईकोर्ट का आदेश

अब सभी की निगाहें इस मामले पर पटना हाईकोर्ट के आदेश पर टिकी हुई हैं। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुना गया और अब अदालत के आदेश का इंतजार किया जा रहा है।

BPSC 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर छात्रों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। वे चाहते हैं कि परीक्षा को रद्द किया जाए और नई परीक्षा आयोजित की जाए। इस मामले पर पटना हाईकोर्ट का फैसला बहुत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इससे छात्रों की भविष्यवाणी और सरकार के कदमों का दिशा तय होगा।

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