क्यों अटका है झारखंड बीजेपी में नेता प्रतिपक्ष का फैसला?

Khabarnama desk : झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2024 विधानसभा चुनाव में 25 सीटें जीतकर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद अब तक नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं किया है। इस देरी ने पार्टी के अंदर जारी संघर्ष और रणनीतिक उलझनों को और गहरा दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर नेता प्रतिपक्ष बनाया जाएगा, और अगर ऐसा हुआ तो नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा?

नेतृत्व संकट या रणनीतिक बदलाव?

बाबूलाल मरांडी झारखंड की राजनीति का पुराना चेहरा हैं। झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे मरांडी ने अपने दल झारखंड विकास मोर्चा (JVM) का 2020 में बीजेपी में विलय कर लिया था, जिसके बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति में देरी उनके भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर रही है।

नेता प्रतिपक्ष क्यों नहीं बना पा रही बीजेपी?

1 गुटबाजी और अंदरूनी खींचतान
– बीजेपी के भीतर कई धड़े हैं, जो नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर सहमत नहीं हो पा रहे हैं।
– बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास और अर्जुन मुंडा गुट के बीच तालमेल नहीं बैठ पा रहा।

2 RSS और केंद्रीय नेतृत्व की दुविधा

– पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि नेता प्रतिपक्ष ऐसा हो, जो सभी को स्वीकार्य हो।
– RSS की भी इसमें भूमिका हो सकती है, क्योंकि वह नए नेतृत्व को आगे लाना चाहता है।

3. सियासी समीकरण और आगामी चुनाव
– 2029 के लोकसभा चुनाव और 2029 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी युवा चेहरे को आगे लाने की कोशिश कर सकती है।
– झारखंड में आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए भी नया चेहरा चुना जा सकता है।

क्या बाबूलाल मरांडी का कद घटेगा?
यदि बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है, तो यह संकेत होगा कि पार्टी उनकी संगठनात्मक क्षमता से ज्यादा उनकी संसदीय रणनीति को तरजीह दे रही है। हालांकि, इससे उनके राजनीतिक करियर के अंतिम दौर में होने की बात कहना जल्दबाजी होगी।

फिर कौन बनेगा प्रदेश अध्यक्ष?

अगर बाबूलाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष बनते हैं, तो बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष भी चुनना होगा। संभावित नामों में शामिल है

– संजय सेठ – संगठन और संसदीय राजनीति में मजबूत पकड़।
– सीपी सिंह – अनुभवी विधायक और रघुवर दास के करीबी।
– दीपक प्रकाश – पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, फिर से वापसी की संभावना।
– समीर उरांव – आदिवासी नेता, जिससे आदिवासी वोट बैंक को साधने की कोशिश हो सकती है।

बहरहाल झारखंड बीजेपी के सामने फिलहाल नेतृत्व संकट और आंतरिक गुटबाजी सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। पार्टी अगर समय रहते नेता प्रतिपक्ष तय नहीं करती, तो विपक्षी दलों को बीजेपी की कमजोरी पर हमला करने का मौका मिल सकता है। बाबूलाल मरांडी का भविष्य इस फैसले पर निर्भर करेगा कि क्या वे प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे या नेता प्रतिपक्ष बनकर नई भूमिका निभाएंगे?

आने वाले हफ्तों में झारखंड बीजेपी की रणनीति स्पष्ट होगी, लेकिन एक बात तय है राजनीतिक दांव-पेंच अभी और दिलचस्प होने वाले हैं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

[td_block_social_counter facebook=”tagdiv” twitter=”tagdivofficial” youtube=”tagdiv” style=”style8 td-social-boxed td-social-font-icons” tdc_css=”eyJhbGwiOnsibWFyZ2luLWJvdHRvbSI6IjM4IiwiZGlzcGxheSI6IiJ9LCJwb3J0cmFpdCI6eyJtYXJnaW4tYm90dG9tIjoiMzAiLCJkaXNwbGF5IjoiIn0sInBvcnRyYWl0X21heF93aWR0aCI6MTAxOCwicG9ydHJhaXRfbWluX3dpZHRoIjo3Njh9″ custom_title=”Stay Connected” block_template_id=”td_block_template_8″ f_header_font_family=”712″ f_header_font_transform=”uppercase” f_header_font_weight=”500″ f_header_font_size=”17″ border_color=”#dd3333″]
- Advertisement -spot_img

Latest Articles