दिल्ली: आज देश की सर्वोच्च अदालत, सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि पत्रकारों को अपने खबरों के सूत्रों को सार्वजनिक करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। यह फैसला पत्रकारों की स्वतंत्रता को लेकर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
दरअसल, यह मामला उस समय का है जब एक पत्रकार ने पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान अपनी खबरों के स्रोत का खुलासा करने से इनकार किया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ जानकारी जुटाने के लिए पत्रकार से उसके सूत्रों का खुलासा करने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि पत्रकारों को अपने स्रोत की गोपनीयता बनाए रखने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पत्रकार अपनी रिपोर्टिंग में कोई गलत जानकारी नहीं दे रहा है तो उसके स्रोत का खुलासा करना पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यह समय है जब हमें पत्रकारिता की स्वतंत्रता को और मजबूत करना होगा, ताकि मीडिया बिना किसी डर या दबाव के समाज की सच्चाई को सामने ला सके।”
इस फैसले से देश भर के पत्रकारों को एक बड़ी राहत मिली है। पत्रकारिता में स्रोतों की गोपनीयता बनाए रखना लोकतंत्र की मजबूत नींव के लिए जरूरी है। यदि सरकारें या पुलिस प्रशासन इन सूत्रों को उजागर करने के लिए दबाव डालने लगे तो यह स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इसलिए अहम है क्योंकि यह लोकतंत्र में मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा करता है। मीडिया के पास यह अधिकार है कि वह बिना किसी डर या दबाव के सच को जनता तक पहुँचाए। अगर पत्रकारों को उनके स्रोतों का खुलासा करने के लिए मजबूर किया जाएगा तो यह स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
1. पत्रकारिता की स्वतंत्रता: पत्रकारों को अब अपने सूत्रों के बारे में खुलासा करने का दबाव नहीं झेलना पड़ेगा। इसका सीधा असर मीडिया की स्वतंत्रता पर पड़ेगा और रिपोर्टिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी।
2. पुलिस और प्रशासन का दखल: इस फैसले से यह भी स्पष्ट हो गया है कि पुलिस प्रशासन को पत्रकारों की रिपोर्टिंग में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। इससे यह संदेश जाएगा कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता को किसी भी हाल में दबाया नहीं जा सकता।
3. समाज में सच्चाई का प्रचार: जब पत्रकार अपने स्रोतों को सुरक्षित महसूस करेंगे, तो वे और अधिक सच्ची और निडर रिपोर्टिंग करेंगे, जो समाज में सही जानकारी का प्रचार करेगा।
इस फैसले का समर्थन करते हुए पत्रकार संगठनों ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया है। उन्होंने इसे मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा का कदम बताया और कहा कि अब पत्रकार अपने काम को और अधिक निडरता से कर सकेंगे।
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