Khabarnama Desk: भारत की वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण, एक फरवरी को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करने जा रही हैं। यह बजट खास तौर पर उद्योग जगत, मध्यम वर्ग और आम जनता के लिए उम्मीदों का केंद्र बना हुआ है। देश की आर्थिक विकास दर में सुस्ती, डिमांड और खपत में कमी के साथ ही अगले वित्त वर्ष में सरकार की प्राथमिकताएं भी महत्वपूर्ण होने वाली हैं। स्मॉलकेस मैनेजर्स का मानना है कि इस बजट में टैक्स सिस्टम में कुछ अहम बदलाव किए जा सकते हैं और साथ ही कुछ सेक्टर्स को बढ़ावा देने के लिए इंसेंटिव भी दिए जा सकते हैं। इस लेख में हम उन मुख्य बदलावों और सुधारों की चर्चा करेंगे, जिनकी इस बजट से उम्मीद की जा रही है।
स्मॉलकेस के 100 मैनेजरों द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक, आगामी बजट में पर्सनल इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव के आसार हैं। खासतौर पर, सरकार अधिक छूट की लिमिट बढ़ा सकती है और टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव कर सकती है। इससे न केवल लोगों की डिस्पोजेबल इनकम (उपलब्ध आय) में बढ़ोतरी हो सकती है, बल्कि यह खपत को भी बढ़ावा दे सकता है। सरकार द्वारा इन टैक्स सुधारों की घोषणा से आम नागरिकों के पास अधिक पैसा आ सकता है, जिससे बाजार में मांग में वृद्धि हो सकती है और अंततः आर्थिक गतिविधियों को गति मिल सकती है।
स्मॉलकेस के मैनेजर्स का यह भी मानना है कि इस बजट में सरकार कई राजनीतिक रूप से प्रेरित सब्सिडी में कटौती कर सकती है। इसके बजाय, सरकार पूंजीगत व्यय (capital expenditure) पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसका मुख्य उद्देश्य बुनियादी ढांचे (infrastructure) और लंबी अवधि में विकास को बढ़ावा देना है। सरकार का ध्यान अब उन क्षेत्रों पर होगा जो देश के आर्थिक विकास को स्थिर और मजबूत बना सकें, जैसे कि इंफ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस और रिन्यूएबल एनर्जी (renewable energy) सेक्टर्स। सब्सिडी की कटौती का मतलब यह हो सकता है कि सरकार अब सीधे तौर पर विकासात्मक निवेश पर ज्यादा जोर देगी, जो भविष्य में स्थिर विकास को बढ़ावा देगा।
स्मॉलकेस के सर्वे के मुताबिक, बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर और डिफेंस सेक्टर्स के लिए भारी आवंटन की संभावना है। खासकर, भारत को वैश्विक जियोपॉलिटिकल (geopolitical) मजबूती की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, सरकार इन दोनों क्षेत्रों में निवेश बढ़ा सकती है। इसके अलावा, रिन्यूएबल एनर्जी (जैसे सोलर, विंड) पर भी खास ध्यान दिया जा सकता है, क्योंकि यह भारत के ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही हेल्थ, एजुकेशन, ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स जैसे अन्य क्षेत्रों में भी बजट का ध्यान केंद्रित हो सकता है। इस निवेश से बुनियादी ढांचे का विकास होगा, जो देश की आर्थिक प्रगति को एक नई दिशा दे सकता है।
भारत सरकार के लिए डिजिटल परिवर्तन अब एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता बन चुका है। इस बजट में बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ डिजिटल एसेट्स में इनोवेशन (innovation) और निवेश पर भी जोर दिया जा सकता है। इससे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक बाजार में भारत को एक नई प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति हासिल हो सकती है।
कुछ स्मॉलकेस मैनेजर्स का मानना है कि इस बजट में सरकार ई-कॉमर्स, एयरोस्पेस और रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दे सकती है। यह इनोवेशन और सरकारी नीतियों के बदलाव से प्रेरित हो सकता है, जो इन क्षेत्रों की वृद्धि को प्रेरित कर सकते हैं। खासकर, ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में भारत के लिए बड़ा अवसर है, क्योंकि वैश्विक बाजार में यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं।
स्मॉलकेस के मैनेजर्स यह भी मानते हैं कि बजट में कुछ सेक्टर्स को विशेष फोकस मिल सकता है, जिनमें हाल के दिनों में सुधार की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, रेलवे, बिजली, रक्षा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में इस बजट के बाद निवेश बढ़ सकता है। इन क्षेत्रों में हाल के करेक्शंस (corrections) के बाद अब निवेशकों का ध्यान इन सेक्टर्स की ओर आकर्षित हो सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, खासकर सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत का महत्व लगातार बढ़ रहा है। यह बजट उन क्षेत्रों में विशेष रूप से निवेश को बढ़ावा दे सकता है, ताकि भारत सेमीकंडक्टर निर्माण में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सके। सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में प्रोत्साहन योजनाएं लाने से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और भारत की विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा को और मजबूत किया जा सकेगा।
स्मॉलकेस के संस्थापक और सीईओ वसंत कामथ ने कहा कि केंद्रीय बजट भारत के भविष्य की आर्थिक प्रगति को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह बजट उद्योग जगत के स्टेकहोल्डर्स की उम्मीदों का केंद्र बन सकता है, जहां वे विकास को बढ़ावा देने वाले सुधारों, स्थिरता और डिजिटल परिवर्तन पर जोर देने की उम्मीद कर रहे हैं। साथ ही, उद्योगों और सेक्टर्स के लिए सरकार की प्राथमिकताएं आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में मदद कर सकती हैं।
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