बोकारो के बेरमो में कोयला माफिया से सांठगांठ करने के आरोप में 28 पत्रकारों का नाम सामने आया

Khabarnama desk : झारखंड के बोकारो जिले के बेरमो इलाके से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें 28 पत्रकारों के कोयला माफिया से सांठगांठ करने के साक्ष्य सामने आए हैं। यह खुलासा पुलिस और प्रशासन की ओर से की गई जांच में हुआ, जिसमें यह पता चला कि इन पत्रकारों ने कोयला माफिया से अवैध खनन और अन्य अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बदले में माफिया से रिश्वत ली थी।

जांच में मिले गंभीर सबूत

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब बेरमो क्षेत्र में अवैध कोयला खनन और उसके परिवहन की शिकायतें बढ़ने लगीं। प्रशासन ने इस पर जांच शुरू की और अंततः 28 पत्रकारों के नाम सामने आए, जो इन अवैध गतिविधियों में शामिल थे। इन पत्रकारों द्वारा माफिया से सांठगांठ के कई वीडियो और दस्तावेज पुलिस के हाथ लगे हैं, जिनसे यह साबित होता है कि उन्होंने माफिया के साथ मिलकर अवैध खनन की खबरें दबाई और इसके बदले में पैसे या अन्य लाभ प्राप्त किए।

माफिया के साथ सांठगांठ के आरोपों के बाद पत्रकारिता की साख पर सवाल

यह मामला पत्रकारिता की साख को भी सवालों के घेरे में लाता है। पत्रकारों की जिम्मेदारी है कि वे समाज में हो रहे गलत कामों को उजागर करें, लेकिन इस प्रकरण में इन पत्रकारों ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते हुए माफिया के साथ सांठगांठ कर अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दिया। इस मामले के सामने आने के बाद पत्रकारिता क्षेत्र में बड़ी बहस शुरू हो गई है, और सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या इन पत्रकारों का यह कृत्य पूरे पत्रकारिता समुदाय की प्रतिष्ठा को धूमिल करेगा।

कोयला माफिया का नेटवर्क और अवैध कारोबार

बेरमो में कोयला माफिया का नेटवर्क काफी मजबूत है। यहां अवैध खनन और कोयले की चोरी के कारोबार में लगातार वृद्धि हो रही है। इन अवैध गतिविधियों से न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है, बल्कि स्थानीय पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कोयला माफिया के इस नेटवर्क में कई प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं, जिनका प्रशासन और पुलिस के साथ सांठगांठ होने का संदेह है।

प्रशासन की कार्रवाई और आगे की योजना

पुलिस ने इस मामले में जांच तेज कर दी है और 28 पत्रकारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। इसके अलावा, प्रशासन ने कोयला माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की योजना बनाई है ताकि इस अवैध कारोबार को पूरी तरह से खत्म किया जा सके। इस मामले में कई उच्चस्तरीय अधिकारियों से भी पूछताछ की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस अवैध कारोबार में कितने लोग शामिल हैं और इसमें प्रशासन का कितना हाथ है।

समाज में इस मामले को लेकर गहरी चिंता

इस घटना से पूरे राज्य और खासकर पत्रकारिता जगत में गहरी चिंता है। स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कहीं पत्रकारिता का यह काला धब्बा पूरी पत्रकारिता की प्रतिष्ठा को नुकसान न पहुंचाए। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी सख्ती से कार्रवाई करता है

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